Killeshwar Baba Mandir, Fatehpur (UP)
Site name: किल्लेश्वर बाबा मंदिर, बिंदकी, फतेहपुर
किल्लेश्वर बाबा मंदिर फ़तेहपुर शहर से लगभग 35
किलो मीटर की दूरी पर स्थित हैं। यह मंदिर
लगभग 150 वर्ष पुराना हैं जिसका निर्माण शिव प्रसाद सिंह परिहार द्वारा करवाया गया
था। अब इस मंदिर की देखरेख का जिम्मा अवधेश सिंह परिहार
के सुपर्द हैं। मंदिर की दीवारें तथा गुम्बद अनेक प्रकार के भित्ति चित्रों से सजे हुए हैं जिस पर फूल-पत्ती, जानवर और कई पौराणिक कथाओ के दृश्य हैं। इन चित्रों पर विभिन्न रंगो जैसे नीला, पीला, काला, लाल
का अनूठा संगम मंदिर की शोभा को और भी अधिक बढा रहा हैं। इन चित्रों को बनाने के लिए टेम्परा तकनीक का प्रयोग किया गया हैं।
मंदिर के गुम्बद में बना भित्ति चित्र कृष्ण की लीलाओ का परिचय दे रहा हैं
जिसमें कृष्ण कंस का वध कर रहे हैं। कंस राजा
उग्रसेन और रानी पद्मावती
का पुत्र था जिसने अपने पिता को राजगद्दी से
हटाकर कारागार में डाल दिया था और स्वयं मथुरा का राजा बन बैठा था। आकाशवाणी के अनुसार बहन देवकी और वासुदेव का आठवाँ पुत्र उसका काल था इसलिए
उसने उन दोनों को कारागार में डाल कर उनकी संतानों की हत्या कर दी। कृष्ण को मारने के लिए कंस ने योजना बनाई और उसे मथुरा बुलाया। श्री कृष्ण और बलराम के मथुरा पहुँचने पर सर्व प्रथम उसने एक पागल मदमस्त
हाथी उन दोनों भाइयों पर छोड़ दिया। हाथी ने
छूटते ही सभी वस्तुओं को तहस-नहस कर दिया। जैसे ही हाथी कृष्ण को मारने आया कृष्ण ने अपनी तलवार से उसकी सूंड काट
डाली जिससे हाथी ने वही दम तोड़ दिया। अब
कंस ने कृष्ण और बलराम को मल्ल युद्ध के लिए ललकारा जहाँ उनका सामना युद्ध कौशल में
निपुण 'मुश्तिक' और 'चाणूर' से था। बलराम जी ने मुश्तिक और भगवान श्री कृष्ण ने चाणूर के साथ मल्ल युद्ध
प्रारम्भ किया। थोड़ी ही देर मे मुश्तिक और चाणूर दोनों भाइयों
द्वारा मारे गए। अब श्री कृष्ण ने कंस को युद्ध के लिए ललकारा। कंस अपनी जान बचाकर भागना चाहता था पर श्री कृष्ण फुर्ती के साथ मंच पर चढ
गए और उस पर प्रहार करते हुए नीचे ले आए और उसे उसकी अत्याचारों की याद दिलाने लगे
कि कैसे उसने मासूम बच्चों की हत्याएं की, कृष्ण की माता देवकी और पिता वासुदेव को बंदी बनाकर रखा, उनकी संतानों की
हत्या की, अपने स्वयं के पिता महराजा उग्रसेन को बंदी
बनाया और स्वयं राजा बन बैठा। जनता पर
भारी जुल्म और अन्याय किया। इसके बाद
श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से कंस का सर धड़ से अलग कर उसका वध कर दिया।
Reference
Books
- Dev Prasad, (27th January 2015), 'Krishna: A Journey through the Lands and Legends of Krishna', by Jaico Publishing House.
- B.R. Kishore, (1989), 'Lord Krishna' by Diamond Pocket Books Pvt Ltd, pg-33.
- James Talboys Wheeler, (1867), 'The History of India from the Earliest Ages: Vol 1-The Vedic Period and the Mahabharata', by The New York Public Library.
- Renu Saran, (21th October 2014), 'Lord Krishna: Gods & Goddesses in India', by Diamond Pocket Books Pvt Ltd.
- Dr Krishna Murari Soni, 'Lord Krishna and His Leadership', by Diamond Pocket Books Pvt Ltd.
- W.G. Archer, (3rd April, 2019), 'The Loves of Krishna: In Indian Painting and Poetry', published by Routledge, publisher: Taylor and Francis.
- Mahesh Sharma, B.K Chaturvedi, (2006), 'Tales From the Mahabharata', by Diamond Pocket Books Pvt Ltd.
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- B.K Chaturvedi, (2020), 'Srimad Bhagwat Purana', by Diamond Pocket Books Pvt Ltd.
- Ashok K. Banker, (2013), 'Slayer of Kamsa', by Harper Collins Publishers India.
- Horace Hayman Wilson, (1840), 'The Vishnu Purana: A System of Hindu Mythology and Tradition', Published by John Murray.
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